Friday, July 15, 2011

सन्नाटा है हर तरफ है

सन्नाटा है हर तरफ
हर कोई खामोश है
डर है सभी को
उस अनजाने खौफ से
जो सभी के दिल में है
नहीं है किसी की भी हिम्मत
उसका सामना करने की
कोई नहीं चाहता उससे लड़ना
सभी उससे दूर भाग रहे है
ये कैसा वक़्त आ गया है
कोई नहीं देखना चाहता
अपने आपको आईने में
कोई नहीं लड़ना चाहता
अपने आप से
सब अपना चेहरा छुपाये
एक नकाब लगाये घूमते है
सब रिश्ते - नातो को भुलाकर
अपनों को ही लूटते है
इस सन्नाटे को चीरते हुए
कोई आवाज़ तो आएगी
जिसका मुझे है इंतज़ार
वो सुबह तो आएगी
वो सुबह तो आएगी 

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