Wednesday, July 6, 2011

डाकखाना बंद है (ग़ज़ल)

क्या ख्ता हमसे हुई जो खत आना बंद है
पोस्टमेन ही न रहा या डाकखाना बंद है

पहलवानी कर रहा, भाई मेरे महबूब का
उस गली में इसलिए सिटी बजाना बंद है

एक कुत्ता ताक में बैठा मेरा जिस रोज़ से
क्या करूँ मेरा गली से आना जाना बंद है

बीवी को मैने खिलाई सेंटेरफ़्रेश की गोलियाँ
बेलन नही रुकते कभी बस मूह चलाना बंद है

चार दिन जब जेल की खाई हवा उस वक़्त से
राह चलते लोगों का पाकिट चुराना बंद है

चाहते बासी हुई, जब उम्र चौरासी हुई
यार को अब प्यार के नगमे सुनाना बंद है


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