सर्दी-खांसी से बुरा हाल है
डॉक्टर को दिखाया है
हालत सुधर रही है
ढेरों कैप्सूल खाया है!
जब सर्दी-खांसी हो जाती है
मन चिडचिडा हो जाता है
नाक बहती रहती है
कुछ भी नहीं भाता है!
भगवान् बड़े रोग दे दे
पर दे न कभी सर्दी-खांसी
कुछ खास नुकसान तो नहीं होता
पर मन में छायी रहती उदासी!
सर में थकान सी रहती है
सब भारी-भारी लगता है
किसी काम में दिल नहीं लगता
बस सोने का मन करता है!
नाक सुड-सुड करता है
आवाज अजीब हो जाती है
कुछ दिन आदमी नहीं नहाता
छीकें खूब आती हैं!
मैं तो इतना हेल्थी हूँ
फिर भी सर्दी लग जाती है
प्रकृति के आगे जोर नहीं चलता
सर्दी-खांसी सालाना आती है!
डॉक्टर को दिखाया है
हालत सुधर रही है
ढेरों कैप्सूल खाया है!
जब सर्दी-खांसी हो जाती है
मन चिडचिडा हो जाता है
नाक बहती रहती है
कुछ भी नहीं भाता है!
भगवान् बड़े रोग दे दे
पर दे न कभी सर्दी-खांसी
कुछ खास नुकसान तो नहीं होता
पर मन में छायी रहती उदासी!
सर में थकान सी रहती है
सब भारी-भारी लगता है
किसी काम में दिल नहीं लगता
बस सोने का मन करता है!
नाक सुड-सुड करता है
आवाज अजीब हो जाती है
कुछ दिन आदमी नहीं नहाता
छीकें खूब आती हैं!
मैं तो इतना हेल्थी हूँ
फिर भी सर्दी लग जाती है
प्रकृति के आगे जोर नहीं चलता
सर्दी-खांसी सालाना आती है!
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