मैं अपनी पत्नी की बाँहों में आकर
खूब सुकून पाता हूँ
सारे दुःख गम टेंशन परेशानियां
पल में भूल जाता हूँ!
गोरी-गोरी उन बाँहों में
दिखती है मुझको जन्नत
हर जनम में मेरी ही रहना
मांगू रब से यही मन्नत!
उसकी बाँहों की जकड़न
हर दर्द निचोड़ देती है
थक रही सी जिन्दगी को
इक नया मोड़ दे देती है!
खुदा की बाहों में भी शायद
यकीनन न होगी वो बरकत
पत्नी की बाहें ही पति को
दे सकती हैं वो हरकत!

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